Written By→ Ritesh Gupta
"कुछ पल आगरा से" श्रृंखला के पिछले लेख में मैंने आपको आगरा के लाल किले के बारे
बताया था और उस सुन्दर स्मारक की सैर भी की थी । अब इसी श्रृंखला के अग्रसर करते हुए इस लेख में आपको लिए चलते है, आगरा के एक और प्रसिद्ध पर्यटक स्थल " Itmad-ud-Daulah (Baby Taj), Agra (एतमादुद्दौला, आगरा )" की सैर पर .......
एतिहासिक शहर होने के कारण वैसे तो आगरा में स्मारकों की भरमार है, उनमे से आगरा के कई बड़े स्मारको के बीच एक और खूबसूरत स्मारक एत्मादुद्दौला भी अपना एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है । कुछ ताजमहल जैसी आकृति का नजर आने वाला और धवल संगमरीमरी स्मारक होने के कारण इसे "बेबी ताज" के नाम से भी पुकारा जाता है । यह स्मारक भी आगरा की अन्य स्मारकों की तरह मुगलकालीन निर्माण शैली का अतुलनीय उदाहरण है । यह स्मारक भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित ईमारत है । ताजमहल, लालकिले बाद आगरा में इस स्मारक पर भी काफी अच्छी मात्रा देशी-विदेशी अवलोकन करने हेतु यहाँ पर आते है ।
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Etmad-ud-Daulah Tomb (एत्मदुदौला का मकबरा ) |
एत्मादुद्दौला स्मारक आगरा शहर के मध्य में यमुना नदी के किनारे बना हुआ है । इस स्मारक पर आगरा के अन्य स्मारक/रेलवे स्टेशन या बस स्नाथक से स्थानीय वाहनो (रिक्शा, टैम्पो, बस) से आसानी से पंहुचा जा सकता है ।
1. NH-2 (राष्ट्रीय राजमार्ग-2) दिल्ली कि तरफ से अंतराज्जीय बस स्नाथक से होते हुए , वाटरवर्क्स चौराहे से यमुना नदी के जवाहर सेतु से होते हुए रामबाग चौराहे से दाहिने मुड कर करीव दो किलोमीटर चलने के बाद यह स्मारक आ जाता है ।
2. यमुना एक्सप्रेसवे या कानपुर की तरफ से आने NH-2 से होते हुए आगरा के तरफ चलने के बाद शाहदरा उसके बाद नुनहाई होते हुए इस स्मारक पर पहुँच सकते है ।
3. बिजलीघर चौराहे / ताजमहल या लाल किले से यमुना किनारे मार्ग से यमुना पर बने अम्बेडकर सेतु (Ambedkar Bridge) से होते हुए इस स्मारक पर पहुँच सकते है ।
स्मारक के चारों तरफ लाल पत्थर की परिकोटा बना हुआ । सड़क से मुख्य दरवाजे से प्रवेश करते हुए बाएं तरफ एक छोटा सा एम्पोरियम और टिकिट खिड़की बनी हुई है । देशी/भारतीय सैलानियों के लिए टिकिट दर मात्र दस (INR 10.00) रूपये और पन्द्रह साल से छोटे बच्चो को लिए कोई टिकिट नहीं है । विदेशी सैलानियों टिकिट दर 110 (INR 110.00) रूपये है । पूरे स्मारक में फोटोग्राफी मुफ्त है पर वीडियोग्राफी के लिए 25.00 का टिकिट लेना पड़ता है । टिकिट लेने के बाद एक पत्थर के गलियारे से होते हुए जिसके दोनो तरफ बगीचे व घास के मैदान से होते हुए स्मारक के मुख्य ऊँचे और लाल पत्थर पर संगमरमर से नक्काशीदार दरवाजे पर टिकिट चेक कराने के बाद मुख्य स्मारक पर पहुँच जाते है ।
यह मकबरा यमुना नदी के पूर्वी तट पर एक चार बाग में स्थित है । यमुना के तरफ के हिस्से को छोडकर स्मारक प्रांगण तीन तरफ से लाल पत्थर की परिकोटा है, इसकी स्थिति के अनुसार से स्मारक का मुख्य द्वार पूर्व दिशा की तरफ है । उत्तर और दक्षिण दिशा में अलंकृत द्वार जिसमे इवान प्रमुखता से बने है । पार्श्व में पश्चिम दिशा में यमुना नदी की तरफ बड़ा ही सुन्दर बहुमंजिला आनंद भवन है । यह सभी इमारते और द्वार लाल पत्थर के बने हुए है जिस पर स्वेत संगमरमर से बहुत सुन्दर पच्चीकारी द्वारा बड़े आकारों की नक्काशी बनी हुई है । पत्थर की उठी हुई पथिकाओ के मध्य में पानी की उथली नालियों के द्वारा स्मारक के बाग को एक समान चार भागो में बांटा हुआ है । लाल पत्थर की यह पथिकाए मुख्य मकबरे व चारों तरफ की इमारतों को आपस में जोड़ती है । इस पर छोटे तालाब और झरने बने हुए है । स्मारक के बचे हुए खाली भाग में पथिकाओ के किनारे सुंदर फूलो कि क्यारियां व मध्य में घास का प्रांगण बना हुआ है, जिसके बीच मुख्य संगमरमर का मकबरा एक ऊँचे चबूतरे पर बना हुआ । बड़े-बड़े पेड़ और पौधे के लिए परिकोटे के पास जगह छोड़ दी है, जिससे मुख्य मकबरा पूर्णरूपेण कही से भी देखा जा सकता है
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धवल संगमरमर मुख्य मकबरा अपने अनूठे चौकोर आकार के साथ बाग के मध्य स्थित है, मकबरे के चारों ऊँची मीनारे बनी हुई है जिस पर छत्रिया सुशोभित है । मुख्य भवन के मध्य में छत पर गुम्बद की जगह चौकोर बारहदरी शीर्ष पर विराजमान है । मकबरा के अंदर मध्य में मुख्य हाल है, जिसमे में मिर्जा ग्यासबेग और उनकी पत्नी अस्मत बेगम की सुनहरे रंग की नकली कब्रे बनी हुई । हाल में जाने का एक ही रास्ता है, बाकी का रास्ता जालियो से बंद है । मुख्य चौकोर हाल की छत रंगीन व सुनहरे रंग की बेहद सुन्दर कलाकारी से अलंकृत है । मुख्य हाल के चारों तरफ के कोनो में चार कमरे बने हुए हुए, जिनमे नूरजहाँ की बेटियों और उनके संबंधियो के कब्रे बनी हुई है । यह चारों कमरे आपस में चारों तरफ की बारहदरी से जुड़े हुए है । पूर्ण मकबरा भवन संगमरमर रंगीन सुन्दर पच्चीकारी से अलंकृत है। इन रंगीन पच्चीकारी में मुख्यतः फूल पत्तियाँ, पक्षी, गुलदस्ता, मदिरा-सुराही, प्याला-तश्तरी, पेड़-पौधे आदि है ।
एतिहासिक द्रष्टि में स्मारक →
ऐत्मादुद्दौला का मकबरे निर्माण सन 1622-28 के बीच मुगल बादशाह जहाँगीर के काल में हुआ था । उस समय भारत में संगमरमर से बनी यह पहली ईमारत थी । यह मिर्जा ग्यासबेग और उनकी पत्नी अस्मत बेगम का मकबरा है । मिर्जा ग्यासबेग ईरान के रहने वाले थे और बादशाह अकबर की दरवार में सेवारत में थे । मिर्जा ग्यासबेग प्रसिद्ध मुगल बादशाह जहाँगीर की बेगम "नूरजहाँ " के पिता "मुमताज महल" के दादा थे । बादशाह जहाँगीर ने "नूरजहाँ " से निकाह करने के पश्चात उन्हें अपना बजीर बना दिया था । उन्हें सात मनसब और "ऐत्मादुद्दौला" (शाही कोषाध्यक्ष ) का पद प्राप्त था । मिर्जा ग्यासबेग की अपनी पत्नी की मृत्यू के कुछ महीने बाद ही सन 1622 में में आगरा में मृत्यू हुई । नूरजहाँ ने अपने माता-पिता के लिए यह मकबरा सन 1622-28 के मध्य बनवाया । नूरजहाँ और जहाँगीर का मकबरा इस समय पाकिस्तान के लाहौर जिले में है ।
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Main Entrance Gate (स्मारक का मुख्य द्वार ) |
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Main Itmad-ud-Daulah Tomb ( संगमरमर निर्मित खूबसूरत मुख्य मकबरा ) |
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Beautiful Carving on Tomb (मुख्य मकबरे पर बेहद सुन्दर कारीगरी ) |
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Picture From a Corner from Yamuna River Side (यमुना नदी की तरफ से एक किनारे से मकबरा ) |
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Etmad-ud-Daulah Tomb Picture from Southern Building( दक्षिणी परीकोटे की ईमारत की तरफ से मकबरा ) |
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कब्रगाह के छत पर सुन्दर छतरी |
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Beautiful Marble Carving on Red Stone's Southern Building
( दक्षिणी परीकोटे की ईमारत पर लाल पत्थर पर संगमरमर से बनी सुन्दर डिजायन ) |
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Beautiful room in the Tomb ( मुख्य मकबरे के अंदर मुख्य हाल के बाहर की एक सुन्दर बारहदरी ) |
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Color Carving Main Tomb Wall ( मकबरे के बारहदरी में संगमरमर से बनी रंगीन सुन्दर डिजायन ) |
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Beautiful room in the Tomb ( मुख्य मकबरे के अंदर मुख्य हाल के बाहर की एक सुन्दर बारहदरी ) |
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Color Carving Main Tomb Wall ( मकबरे के बारहदरी में संगमरमर से बनी रंगीन सुन्दर अलंकरण ) |
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संगमरमर पर की गयी सुन्दर पच्चीकारी |
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Noorjahan's relative grave stone (नूरजहाँ के रिश्तेदारों की कब्र ) |
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Main Grave of Mirza Gyasbeg & Asmat Begam (मकबरे के अंदर हाल में मिर्जा ग्यास बेग और अस्मत बेगम की कब्र) |
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Beautiful color Carving on the roof of Main Grave Room
(मकबरे के मुख्य हाल के छत पर बनी रंगीन सुन्दर डिजायन ) |
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Anand Bhawan aside Yamuna River ( यमुना के तरफ बना आनंद भवन ) |
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A Picture From Anand Bhawan aside yamuna River (यमुना किनारे के आनंद भवन से मकबरा ) |
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Etmad-ud-Daulah Tomb (एत्मदुदौला का मकबरा ) |
चलिए अब आगरा के एतमादुद्दौला, आगरा की हमारी सैर यही समाप्त करते है । आगरा के इसी श्रृंखला में अगले लेख में आप सभी ले चलेंगे आगरा के किसी नए और मनोरंजक/ एतिहासिक स्थल पर ....तब तक के लिए बाय-बाय और धन्यवाद !
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Table of Contents → कुछ पल आगरा से श्रृंखला के लेखो की सूची :
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बेहतरीन चित्रों सहित बढ़िया जानकारी ..!
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Recent post -: वोट से पहले .
धन्यवाद धीरेन्द्र सिंह जी.....
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteधन्यवाद....
Deleteसुन्दर सचित्र वर्णन .
ReplyDeleteधन्यवाद....
Deleteसुंदर चित्रों से सुसज्जित बहुत ही सुंदर आलेख ! आगरे के सभी पर्यटन स्थलों में यह सबसे खूबसूरत लगता है मुझे ! कदाचित इसलिए भी कि आताताइयों और समय की मार ने सबसे कम क्षति इसे पहुँचाई है और इसका सौंदर्य आज भी उसी तरह कायम है ! आभार आपका !
ReplyDeleteसाधना वेद जी....
Deleteटिप्पणी के माध्यम से प्रसंशा करने के लिए आपका आभार | इस समय इसका सौंदर्य अभी तक कायम है....वक्त का असर सबसे कम इसी ईमारत है.....
धन्यवाद
ati sundar
ReplyDeleteधन्यवाद.... तिवारी जी..
Deleteकई बार सोंचने को मजबूर हो जाता हूँ कि कैसे एक कब्रगाह भी दर्शनीय स्थल में बदल जाती है। सही मायनो में तो यह शमशान ही तो है। एक तरफ तो इस धर्म में बुतपरस्ती नाजायज है और दूसरी तरफ। ………? क्या यह बुतपरस्ती नहीं है कि लोग वहाँ पर जाकर फूल- मालाये , प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।
ReplyDeleteअभी एक अमेरिकन नॉवल पढ़ रहा था जिसमें यह बात कही गई थी कि पर्यावरण और स्वास्थ्य की दृष्टि से मृत शरीर को जितनी जल्दी हो सके, जला देना सर्वोत्तम है। जिन देशों में लकड़ी की बहुत कमी है, वहां पर धरती में गढ्ढा करके शरीर को उसमें दबा देना भी सबसे व्यावहारिक तरीका है। सबसे अवैज्ञानिक तरीका है - लकड़ी के ताबूत में शरीर को रखना और साथ में खाने - पीने का सामान, शराब की बोतलें, कपड़े, किताबें और चश्मा आदि भी रखना । राजा - महाराजा मरते थे तो उनके साथ जीवित दास-दासियों को भी दफना दिया जाता था। खैर, यह तो के.बी. रस्तोगी जी की बात में से बात निकल आई । पर जहां तक इस आलेख का सवाल है, आज मुझे पहली बार इस स्मारक के बारे में जानकारी मिली और वह भी इतने मनोरंजक ढंग से दी गई और चित्रों के साथ, जिसके लिये रितेश गुप्ता का हार्दिक आभार । कुछ चित्रों में समस्या है, आधे खुल कर अटक गये हैं - आधा घंटा से भी अधिक से।
ReplyDeleteसुंदर चित्रों से भरा प्यारा आलेख
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