Written By Ritesh Gupta
राधे राधे !
ये दिव्य शब्द वृन्दावन की गलियों में हर तरफ गूंजता सुनाई देगा, क्योकि ये नगरी भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की भक्ति से ओतप्रोत भक्तो की नगरी जो है । यहाँ के निवासी/अनिवासी अभिवादन स्वरूप आपस मे एक दूसरे से यही "राधे राधे" शब्दो का उपयोग करते है । एक कहावत है - जहाँ के कण कण में बसे हो श्याम वो श्री वृन्दावन धाम । यहाँ की मृदा, वायु और जल मे सब जगह भगवान श्रीकृष्ण का वास माना जाता है, इस तीर्थ क्षेत्र की यात्रा करने वाला भक्त अपने आपको बहुत सौभाग्यशाली मानता है और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में सारोबार हो जाता है । इस क्षेत्र को बृज क्षेत्र या बृज भूमि कहते है जिसमे मथुरा, वृन्दावन, गोकुल, गोवर्धन, आगरा , धोलपुर, जलेसर, भरतपुर, हाथरस, अलीगढ, इटावा, मैनपुरी, एटा, कासगंज और फ़िरोज़ाबाद आदि जिले आते है । चलिये चलते है इस पोस्ट के माध्यम से उत्तरप्रदेश के मथुरा जिले में स्थित विश्व प्रसिद्ध वृंदावन धाम की पावन यात्रा पर -
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रंगीन प्रकाश से अद्भुत छवि प्रस्तुत करता है "प्रेम मंदिर", वृन्दावन (Colorful by Light beautiful Prem Mandir, Vridavan) |
कुछ महीनों पहले शीतकाल में हमारी रिश्तेदारी में एक कार्यकम आगरा के ही एक व्यक्ति ने वृन्दावन में रखा । कार्यक्रम दो दिवसीय था और हमारा जाना इसमें पक्का ही था । कार्यक्रम शनिवार और रविवार के दिन था, सो हम लोग रविवार की सुबह नौ बजे वृन्दावन के लिए घर से निकल लिए । आगरा के वाटरवर्क्स चौराहे पर आकर मथुरा जाने वाली बस की प्रतीक्षा करने लगे, काफी समय बीत गया पर बस का कोई अता पता नही था, समय को युही गुजरता देख हम लोग आगरा के राष्ट्रिय राजमार्ग दो पर स्थित अंतरराज्जीय बस अड्डे पर एक ऑटो के माध्यम पहुँच गये । यहाँ पर हमे दिल्ली जाने वाली एक बस मिल गयी उसी सवार होकर अपनी यात्रा का सुभारम्भ किया । साढ़े ग्यारह बजे के आसपास हम लोग मथुरा पहुँच गये, बस वाले से कहा भी आप हमे छटीकरा (वृन्दावन) पर उतार देना पर उसने कहा की आप यही उतर जाइए हम बस को बीच में नही रोकेंगे या फिर आप उससे आगे अगले स्टाप तक की टिकिट लीजिये । हम लोग मथुरा ही उतर गये और एक ऑटो किराए पर लिया और राष्ट्रिय राजमार्ग 2 के छटीकरा से होते हुए वृन्दावन के प्रेम मंदिर के पास ही अपने कार्यक्रम स्थल तक के लिए । आधे घंटे के सफर के बाद हम लोग प्रेम मंदिर के सामने ही गली में बुर्जा रोड स्थित अपने कार्यक्रम स्थल श्री भक्ति मंदिर आश्रम स्थल पहुँच गये । कुछ देर कार्यक्रम स्थल में कार्यक्रम में शामिल होने के बाद वृन्दावन भ्रमण पर जाने निकलने लगे तो लोगो ने बताया की दोपहर में अभी तो सारे मंदिर बंद मिलेंगे आप लोग शाम को चार बजे जाईयेगा । भक्ति धाम मन्दिर में एक सांचे से सभी लोगो के माथे और गाल पर राधे नाम की छाप चन्दन से लगाई गई । सच मे राधे नाम माथे पर लगवाने से एक मन को गहरी और आध्यात्मिक शांति मिली और राधे कृष्णा मय हो गए हम लोग भी, बोलों "जय श्री राधे" । खैर हम लोग क्या कर सकते थे सो वही भक्ति दोपहर का खाना खाया और शाम को चार बजे सबसे विदा लेकर निकल लिए वृदावन के दर्शन को ।
कुछ जानकारी वृन्दावन के बारे में -
वृन्दावन से आगरा की कुल दूरी 75 किमि० के आसपास है और मथुरा से आगरा की दूरी 57 किमि० है और मथुरा से वृन्दावन की दूरी 18 किमि० के आसपास है । भारत की राजधानी दिल्ली से वृन्दावन की दूरी करीब 125 किमि० है । यमुना के तीरे स्थित विश्व प्रसिद्ध वृन्दावन भगवान श्री कृष्ण के जन्मस्थली मथुरा लगा हुआ एक क़स्बा है जो योगेश्वर भगवान श्री कृष्ण की बाललीला काल से जुड़ा हुआ है । गोकुल में जब राक्षसों का उत्पात जब चरम पर पहुँच गया था तब श्री कृष्ण और उनका परिवार ने वृन्दावन में आकर निवास किया था यही पर उनके द्वारा की गयी कई दिव्य अलौकिक बाललीलाओ का वर्णन हम सुनते और ग्रंथो में पढ़ते है । श्री वृन्दावन को ब्रज भूमि का हृदयस्थल भी कहा जाता है क्योकि यहाँ पर श्री कृष्ण और राधा रानीजी ने संसार के प्रेम रस के ज्ञान देने लिए दिव्य लीलाए भी की थी । श्री कृष्ण भक्ति में लीन कई प्रसिद्ध संतो और मुनियों ने यही पर रहकर श्री कृष्ण की भक्ति को चरम पर पहुँचाया था, उनके आश्रम में अभी भी यहाँ पर मिल जायेंगे । श्री चैतन्य महाप्रभु जी, महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी, श्री हितहरिवंश, स्वामी श्री हरिदास जी आदि अनेकानेक गोस्वामी भक्तों ने वृन्दावन के वैभव को सजाने और संसार को अनश्वर सम्पति के रूप में प्रस्तुत करने में यही पर अपना सम्पूर्ण जीवन लगाया था ।
मुख्य तीर्थ क्षेत्र होने कारण वृन्दावन में भगवान श्री कृष्ण और श्री राधारानी के कई सारे प्रसिद्ध मंदिर है । मुख्यत बांके बिहारी जी का मंदिर जग प्रसिद्ध और प्राचीन है । इसके अलावा अंग्रेजो का मंदिर, निधि वन, , इस्कान मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर, मदन मोहन मंदिर, मीरा बाई मंदिर, चंद्रोदय मंदिर, राधा बल्लभ मंदिर, जयपुर मंदिर, शाह जी मंदिर, राधा गोविन्द मंदिर, चिंताहरण हनुमान मंदिर, राधा दामोदर मंदिर, माँ कात्यानी मंदिर, भूतेश्वर महादेव मंदिर, गोविन्द देव मंदिर, श्री रंगनाथ जी का मंदिर, अक्षय पात्र मंदिर, श्री कृष्ण प्रणामी मंदिर, प्रिया कान्त जू मंदिर, वैष्णो देवी मंदिर, पागल बाबा मंदिर, प्रेम मंदिर आदि प्रसिद्ध मंदिर यहाँ पर है ।
श्री बाँके बिहारी मंदिर (Shri Bankey Bihari Temple)
अब चलते है अपनी यात्रा वृतांत और वृन्दावन दर्शन को । भक्ति धाम मन्दिर से हम लोग पैदल ही प्रेम मंदिर चौराहे पर पहुँच गए, यहां से एक ऑटो के माध्यम से श्री बाँके बिहारी मंदिर (Shri Bankey Bihari Temple) के लिये चल दिए । श्री बांके बिहारी जी का मंदिर वृन्दावन के रमण रेती नाम के स्थान पर है । कुछ देर बाद ऑटो वाले ने एक जगह हमे उतार दिया और कहा कि यहां आगे लगभग आधा किलोमीटर पैदल सामने की गली में चले जाइये, आप लोग मन्दिर पहुँच जाएंगे । हम बांके बिहारी जी मंदिर के तरफ उस गली से चल दिए, गली में कुछ स्थानीय बच्चे राधा नाम के सांचे से लोगो के माथे और गाल पर चन्दन लगा रहे थे और बदले में कुछ पैसा भी उन्हें मिल रहा था । खैर हम लोग मंदिर की ओर अग्रसर थे तो ज्यो-ज्यो ही मंदिर की तरफ जा रहे थे भीड़ का दबाब भी बढ़ रहा था । गली में दोनों तरह कई सारी प्रसाद (प्रसिद्ध मथुरा के पेड़े) और फूलो की दुकाने थी, ठाकुर जी के मंदिर के समीप हमने भी प्रसाद खरीदा और अपने उपानो को एक तरफ ठिकाना किया फिर जल से शुद्धिकरण करके लाईन में लग गये और मंदिर के द्वार खुलने की प्रतीक्षा करने लगे ।
कुछ देर की प्रतिक्षा स्वरूप मंदिर का द्वार खोल दिया गया और भीड़ के दबाब से हम लोग स्वयमेव ही मंदिर प्रांगण में प्रवेश कर गये । मंदिर प्रांगण का विशाल हॉल लगभग भक्तो से भर चुका था और सभी ठाकुर बांके बिहारी जी की झलक पाने को लालायित थे । भीड़ के दबाब से बचने के लिए हम लोग स्टील के बड़े-बड़े दान पात्र पीछे खड़े हो गये, ये दान पात्र बिल्कुल गर्भ गृह के सामने थे । हॉल में ही बार-बार माइक से उद्घोष हो रहा था की "सभी भक्त अपना मोबाइल और कैमरा बंद रखे, फोटो खीचते हुए पकडे जाने पर जब्त कर लिया जायेगा", इसका मतलब मंदिर के अन्दर फोटो खीचना पूर्णत प्रतिबन्ध था । कुछ देर बार गर्भ गृह दरवाजे से पर्दा हटाया जाता है और प्रभु बांके बिहारी जी के श्याम वर्ण की प्रतिमा के मनोहारी दर्शन होते है और एक मंदिर में जोर से उद्घोष होता है "बांके बिहारी लाल की जय" । माना जाता है की श्याम वर्ण की प्रतिमा में श्री कृष्ण और राधा जी जी समाये हुए, इस प्रतिमा के दर्शन मात्र से राधा कृष्ण के दर्शनों का लाभ मिलता है । इस मंदिर का निर्माण स्वामी हरिदास जी के वंशजो ने कभी अथक प्रयास के बाद करवाया था ।
श्री बांके बिहारी जी के दर्शनों के लिए मंदिर का पर्दा हर दो मिनट के अन्तराल पर खोला और बंद किया जाता है, इसके पीछे भी एक कहानी कही जाती है की - "एक बार एक भक्त प्रभु को एकटक देखता रहा था और उसकी भक्ति से वशीभूत होकर ठाकुर जी मंदिर से गायब हो गये थे । पुजारी जी ने जब मन्दिर की कपाट खोला तो उन्हें ठाकुर जी कही नहीं दिखाई दिये। बाद में पता चला कि वे अपने एक भक्त की गवाही देने कही चले गये थे, तभी से यहाँ पर प्रबन्धन ने ऐसा नियम बना दिया और झलक दर्शन में ठाकुर जी का पर्दा कुछ मिनिट के लिए खुलता और बन्द होता रहेगा " । बांके बिहारी जी की झलक दर्शन हो ही रहे थे साथ-साथ उन्हें प्रसाद लगाने की होड़ भी मची हुई थी, एक कोशिश हमने भी की सीढ़ियों पर चढ़कर ऊपर तक जाने की पर जैसे ही चढ़े भीड़ के साथ वैसे ही दूसरे तरफ से अपने आप भीड़ के दबाब से वापिस नीचे आ गये । खैर सब मन का धन है, जब श्याम मन में बसे हो तो वो दूर से भी हमारा भोग स्वीकार कर ही लेंगे तो हमने दान पात्र के पास से खड़े होकर बिहारी का ध्यान कर उन्हें भोग लगाया ।
प्रेम मंदिर (Prem Mandir)
श्री बांके बिहारी जी के दर्शनों के उपरांत हम लोगो पर समय की कमी थी सो सीधे ऑटो करके शाम पांच बजे के आसपास प्रेम मंदिर आ गये । अपना सामान और खुद की चेकिंग के उपरांत मंदिर में प्रवेश किया, ये मंदिर काफी बड़े भूभाग में बना हुआ है करीब 54 एकड़ जमीन पर । भगवान श्री कृष्ण और श्री राधा और उनके अटूट प्रेम को समर्पित इस मंदिर का निर्माण जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के द्वारा करवाया गया है । ये मंदिर राष्ट्रिय राजमार्ग दो पर स्थित वृन्दावन के छटीकरा से करीब तीन किलोमीटर दूर भक्तिवेदान्त स्वामी मार्ग पर स्थित है । प्रेम मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया है, मंदिर के चारो तरफ भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीला को प्रदर्शित करती हुई सुन्दर झांकियां बनाई गयी है । सुंदर बगीचे और घास के लॉन से इसे प्रमुख रूप से बनाये गये है । यह मंदिर एक आधुनिक मंदिर है जिसमे स्वचालित झांकियां और संगीतमय फुव्वारे से लगाये गये है । एक बड़ी एल.ई.डी. स्क्रीन भी लगाई गयी है जिसमे मंदिर के बारे और कृपालु जी महाराज के बारे में चलचित्र प्रस्तुत किये जाते है । प्रेम मंदिर के अन्दर साफ-सफाई की ऊचित व्यवस्था की गयी थी, कही भी गंदगी का नमो-निशान नही मिलेगा, यात्रियों की सुविधाये हेतु मंदिर परिसर में रेस्तरा / भोजनालय और आधुनिक शौचालय की भी व्यवस्था की गयी है ।
अब आते है मध्य में बने मुख्य मंदिर की भव्य ईमारत पर है । मुख्य मंदिर और इसकी बाहरी दीवारों को श्री राधाकृष्ण की लीलाओं से बहुत ही भव्य रूप से शिल्पकला सजाया गया है, इसी प्रकार मन्दिर की भीतरी दीवारों पर भी श्री राधाकृष्ण और श्री कृपालुजी महाराज की विविध झाँकियों का भी चित्रण किया गया है । मंदिर में इटालियन संगमरमर उपयोग किया गया है और मंदिर की ईमारत को सुन्दर कलाकृति से इसे दिव्य और भव्य रूप दिया गया है । अपने शिलान्यास के समय से लेकर ये मंदिर करीब ग्यारह वर्षो में पूर्ण हुआ है और करीब 100 करोड़ धनराशि इस मंदिर के निर्माण में खर्च हुई है ।
शाम के करीब छह बजे या अँधेरा हो जाने पर यह मंदिर रंगीन रौशनी से चारो तरफ से सरोबार हो जाता है । मुख्य मंदिर भी कुछ मिनटों के उपरांत लगातार विभिन्न प्रकार की रंगीन रौशनी से जगमगाता रहता है, मतलबसमय-समय पर रंग बदलता रहता है । वाकई में इस मंदिर की खूबसूरती रात में कुछ अलग ही अपने चरम पर होती है और खूबसूरत द्रश्य से दिल उल्लास प्रसन्न हो उठता है । हम लोगो ने चारो तरफ से बड़े आराम से घूम-घूम का पूरे मंदिर का अवलोकन किया और सूर्यास्त के कुछ देर बाद मंदिर रंगीन रौशनी और लाइटों से जगमगा उठा । नीचे दिए गये चित्रों में आप लोग प्रेम मंदिर की खूबसूरती का आनंद ले सकते है । मुख्य मंदिर अपनी बदलती रंगीन रोशनियों से अदभुत आभा बिखेर रहा था, कुछ देर यूही टकटकी निगाहों से मंदिर देखते रहे फिर मंदिर के अंदर दर्शन के लिए चल दिए क्योकि कुछ देर बाद दर्शन बंद होने वाले थे । अंदर जाकर मंदिर देखा तो और भी भव्य था एक बहुत बड़ा झूमर मंदिर के बीचो बीच छत से लगा हुआ था जो यहाँ का मुख्य आकर्षण बना हुआ था । संसार को प्रेम का ज्ञान देने वाले और प्रेम के प्रतीक श्री राधा कृष्ण जी के भव्य मूर्ति के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया और दूसरी मंजिल पर भगवान सीता राम जी के दर्शन करने चल दिए, पर जब तक ऊपर गये पट बंद हो चुके थे । सीता-राम जी के विग्रह के सामने जगद्गुरु श्री कृपालू जी महाराज की प्रतिमा लगी हुई थी उनके भी दर्शन किये । मंदिर के अंदर यहाँ भी फोटो खीचने पर प्रतिबन्ध था सो अंदर के फोटो एक भी न ले सका । कुल मिलाकर हर व्यक्ति को ये अद्भुत प्रेम मंदिर जरुर देखना चाहिए । मंदिर में काफी समय गुजर चुका था तो अब समय था इस मंदिर से निकलने का और अगले मंदिर की तरफ प्रस्थान करने का ।
माँ वैष्णो देवी मंदिर आश्रम, छटीकरा (Maa Vaishno Devi Temple, Chhatikra, Vrindavan)
प्रेम मंदिर के बाहर सड़क तक पहुँचने के बाद एक शेयर ऑटो किया और छटीकरा स्थित माँ वैष्णो मंदिर चल दिए । वैष्णो देवी मंदिर से पहले कुछ लोग प्रियाकान्त जू मंदिर (Priyakant Ju Temple) मंदिर पर उतरे तभी मैंने इस मंदिर का बाहर से एक फोटो खीच लिया क्योकि हम पर इतना समय नही था की मंदिर के अन्दर जाकर दर्शन कर ले क्योकि मुख्य रूप से हमे माँ वैष्णो देवी जी के मंदिर जाना था । खैर कुछ देर में ही मंदिर पहुँच गये । ये मंदिर वृन्दावन का सबसे नव्-निर्मित विशाल मंदिर है । यहाँ माँ वैष्णोदेवी जी की शेर पर सवार 140 फिट ऊँची आदमकद मूर्ति के साथ-साथ दाई तरफ हाथ जोड़े ध्यानमग्न श्री हनुमान जी की 50 फिट ऊँची मूर्ति स्थापित है । ये आश्रम मंदिर करीब 11एकड़ जमीन पर बना हुआ है और बिल्कुल साफ-सुधरा आधुनिक व्यवस्था युक्त मंदिर है ।
मंदिर में प्रवेश करने से पहले यहाँ पर एक काउंटर पर नि:शुल्क रजिस्ट्रेशन करवाना होता हैं और यात्रिओ की संख्या दर्ज करवानी होती है । मंदिर में किसी भी प्रकार का सामान जैसे पर्स, बेल्ट, कंघा, बैग, कैमरा, मोबाइल आदि ले जाना मना है इन सामान को लॉकर रूम में रजिस्ट्रेशन स्लिप दिखाकर जमा करवाना होता है, एक अलमारी में आपका सामान रखने के बाद उसकी चाबी आपको दे दी जाती है । अपना सारा सामान जमा करवाने के बाद हम भी मंदिर के अंदर चल दिए, एक बार चेकिंग से गुजरना पड़ा । उसके बाद आगे बढ़ते हुए वैष्णो देवी जी की गुफा में प्रवेश किया, गुफा के अंदर नौ देवियो के छोटे-छोटे मंदिर बने हुए, नीचे चलते हुए फिर कुछ देर बाद ऊपर की तरफ गुफा में चलते रहे कुछ देर गुफा खत्म होने के बाद विशाल माँ वैष्णो देवी जी मूर्ति के चरण के सम्मुख पहुँच गये । यहाँ से आगे बढ़ते हुए फिर से गुफा में प्रवेश किया और नीचे के विशाल मंदिर पहुँच गये । मंदिर में माँ वैष्णो देवी जी के दर्शन उपरांत बाहर निकल आये । इस तरह से माँ वैष्णो देवी जी मंदिर और उनके दर्शन लाभ प्राप्त करने के उपरांत अपना सामान लोकर लॉकर रूप लिया और पैदल ही चलकर छटीकरा के राष्ट्रिय राजमार्ग दो पर आ गये ।
आइये करते है श्री वृन्दावन के दर्शन निम्न छवियो के माध्यम से (सारी छवियाँ मोबाइल से ही ली है क्योकि इस यात्रा में कैमरा लेकर नही गया था -
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मथुरा टोल टैक्स (Mathura Toll Tax) |
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श्री भक्ति धाम मंदिर और आश्रम, प्रेम मंदिर के पास (Bhakti Dham Temple & Ashram ) |
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भक्ति धाम मंदिर केपास ही एक ठेल से फलो की छवियाँ |
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भक्ति धाम मंदिर केपास ही एक ठेल से फलो की छवियाँ |
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बोलो - राधे राधे ..... Its me |
Bahut badhiya post ritesh ji..aur photos to ek se badhkar ek...aise hi likhte rahiye. Meri Shubhkamnye .
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतिमा जी... टिप्पणी के लिए और पोस्ट पढ़ने के लिए
Delete""राधे राधे"" बहुत सुंदर रितेश जी आपने तो बहुत बढिया दर्शन करा दिए। मै अभी तक नही गया इधर। रोड से कई बार निकल गया पर मन्दिरो तक नही गया। अब की बार देखो कृपा हो जाए गोपाल जी की। मन्दिर में पर्दा ल7ाना व हटाना वाली कहानी पंसद आई। हर एक फोटो बेहतरीन है। धन्यवाद गुप्ता जी
ReplyDeleteराधे राधे त्यागी जी .....
Deleteजानकार अच्छा लगा की आपको पोस्ट पसंद आई... जरुर जाईयेगा एक बार समय निकालकर
धन्यवाद
जय श्री राधे
ReplyDeleteजय श्री राधे ...
DeleteTempting pictures. Informative article.
ReplyDeleteThanks a Lot Jaishree ji
Deleteरितेश जी राम राम, वृन्दावन का बहुत ही सुन्दर चित्रण आपने किया हैं, मोबाइल से भी शानदार चित्र आये हैं. विशेषकर प्रेम मंदिर के...धन्यवाद बहुत बहुत....
ReplyDeleteराम राम प्रवीण जी....
Deleteकाफी दिनों बाद नजर आये.... अच्छा लगा एक बार फिर से आपको देखकर |
धन्यवाद आपका टिप्पणी के लिए और ब्लॉग तक आने के लिए
पूरा वृन्दावन घुमा दिया आपने ।
ReplyDeleteजय बांके बिहारी जी की
जय बांके बिहारी जी की
Deleteकोशिश तो पूरी की वृन्दावन घुमाने के पोस्ट के माध्यम से
धन्यवाद
बढ़िया पोस्ट
ReplyDeleteधन्यवाद प्रतीक भाई जी
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरूवार (15-06-2017) को
ReplyDelete"असुरक्षा और आतंक की ज़मीन" (चर्चा अंक-2645)
पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक
आपका बहुत बहुत आभार हमेशा की तरह
Deleteराधे राधे, बहुत बढ़िया पोस्ट है व्रन्दावन की।
ReplyDeleteराधे राधे ....
Deleteधन्यवाद जी
वृन्दावन बिहारी लाल की जय हो, मथुरा के इन मन्दिरों की यात्रा दो बार की है पहली बार आगरा ताजमहल के दर्शन आपके साथ करके लौटते समय तो दूजा भरतपुर व डीग के महल देखकर लौटते समय, लेकिन दोनों बार प्रेम मन्दिर जाना नहीं हो पाया, इस बार गोवर्धन पैदल परिक्रमा व प्रेम मन्दिर की सुन्दरता देखने के लिये ही जाना है।
ReplyDeleteजय हो बिहारी लाल जी की ...
Deleteआपकी टिप्पणी पोस्ट पर देखकर प्रसन्नता हुई ..... जब जाए इस इस तरफ तो प्रेम मंदिर जरुर जाइएगा ..
शानदार जगह है |
धन्यवाद जी..
सुन्दर वर्णन और खूबसूरत चित्र
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी
DeleteSunder vernan
ReplyDeleteधन्यवाद जी
Deleteअद्भुत !!
ReplyDeleteराधे राधे
धन्यवाद जी । राधे राधे
Deleteराधे राधे ! दिल्ली के इतना नज़दीक होते हुए भी कभी मथुरा और वृन्दावन नहीं जा सके, अब तो आपका लेख पढ़कर कृष्ण की नगरी में जाकर कृष्णमय हो जाने का मन करने लगा है, अब तो जब कान्हा बुला लें।
ReplyDeleteराधे राधे !
Deleteधन्यवाद टिप्पणी के लिए ।
जरूर जाइये कान्हा की नगरी ।
बहुत बढ़िया पोस्ट। मंदिरों का विवरण शैली बहुत सुंदर है।
ReplyDeleteधन्यवाद जी....
Deleteबहुत अच्छा लेख !! यह बहुत अच्छा और जानकारीपूर्ण लेख है और यह बहुत अच्छी जानकारी थी जो मुझे वास्तव में पसंद आई सभी चित्र बहुत सुंदर है |
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